Sunday, 25 September 2016

जेष्ठ तुझा पुत्र दे दशरथा

♻🔥सुप्रभात🔥♻
🌞26-09-2016
✳✳✳✳✳✳✳✳✳✳✳
आज का विचार
✳✳✳✳✳✳✳✳✳✳✳

"क्या फर्क पड़ता है,
हमारे पास कितने लाख,
कितने करोड़,
कितने घर,
कितनी गाड़ियां हैं,

खाना तो बस दो ही रोटी है।
जीना तो बस एक ही ज़िन्दगी है।

फर्क इस बात से पड़ता है,
कितने पल हमने ख़ुशी से बिताये,
कितने लोग हमारी वजह से खुशी से जीए,
कुछ लोग जीते हैं अपने अहंकार के लिए
कुछ लोग जीते हैं अपने ख़्वाबों के लिए,
जबकी ज़िन्दगी भगवान ने दी है
खुशी से जीने के लिए,
और खुशियां बाँटने के लिए..."

शुभ प्रभात

✳✳✳✳✳✳✳✳✳✳✳✳

        💕गीतरामायण💕

       ☺ज्येष्ठ तुझा पुत्र☺

8)ज्येष्ठ तुझा पुत्र मला दे दशरथा
यज्ञ-रक्षणास योग्य तोचि सर्वथा

मायावी रात्रिंचर
कष्टविती मजसि फार
कैकवार करुन यज्ञ नाहि सांगता

शाप कसा देऊं मी ?
दीक्षित तो नित्य क्षमी
सोडतोंच तो प्रदेश याग मोडतां

आरंभितां फिरुन यज्ञ
आणिति ते सतत विघ्‍न
प्रकटतात मंडपांत कुंड पेटतां

वेदीवर रक्तमांस
फेंकतात ते नृशंस
नाचतात स्वैर सुखें मंत्र थांबतां

बालवीर राम तुझा
देवो त्यां घोर सजा
सान जरी बाळ तुझा थोर योग्यता

शंकित कां होसि नृपा ?
मुनि मागे राजकृपा
बावरसी काय असा शब्द पाळतां ?

प्राणांहुन वचनिं प्रीत
रघुवंशी हीच रीत
दाखवि बघ राम स्वतः पूर्ण सिद्धता

कौसल्ये, रडसि काय ?
भीरु कशी वीरमाय ?
उभय वंश धन्य रणीं पुत्र रंगतां

मारिच तो, तो सुबाहु
राक्षस ते दीर्घबाहु
ठेवतील शस्‍त्र पुढें राम पाहतां

श्रीरामा, तूंच मान
घेइ तुझे चापबाण
येतो तर येऊं दे अनुज मागुता
🌴🌷🌴🌷🌴🌷🌴🌷🌴🌷
  सुधीर फडके

🌱🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷🌱🌷
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
   🙏जय श्रीराम🙏
        सोमवार
        26-09-2016

No comments:

Post a Comment