Saturday, 1 October 2016

पंचम शक्ति स्कंदमाता पूजा व आरती

पंचम शक्ति स्कंद माता स्कंद कुमार की मां । सृष्टि की प्रथम प्रसूता देवी । माना जाता है कि इनकी शक्ति से ही नारी को गर्भधारण करने की अलौकिक शक्ति मिली । पांचवीं देवी स्कंद माता जी की पूजा छान्दोग्य उपनिषद के प्रवर्तक सनत्कुमार की माता भगवती का नाम स्कंद है । उनकी माता होने से कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री देवी को पांचवीं दुर्गा स्कंद माता के रूप में पूजा जाता है । यह माता दो हाथों में कमल लिए हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्म स्वरुप सनत्कुमार को थामे हुए हैं । इनका वाहन सिंह है । ये विधावाहिनी दुर्गा भी कहलाती हैं । इनकी पूजा में मिट्टी की छोटी-छोटी 6 मूर्तियां सजायी जाती हैं । आरती देवी स्कंद माता जी की (हिन्दी में) जय तेरी हो स्कंद माता । पांचवां नाम तुम्हारा आता ।। सबके मन की जानन हारी । जग जननी सबकी महतारी ।। तेरी जोत जलाता रहूं मैं । हरदम तुझे ध्याता रहूं मैं ।। कई नामों से तुझे पुकारा । मुझे एक है तेरा सहारा ।। कहीं पहाड़ों पर है डेरा । कई शहरों में तेरा बसेरा ।। हर मंदिर में तेरे नजारे । गुण गाएं तेरे भक्त प्यारे ।। भक्ति अपनी मुझे दिला दो । शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो ।। इंद्र आदि देवता मिल सारे । करें पुकार तुम्हारे द्वारे ।। दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए । तू ही खंडा हाथ उठाए ।। दासों को सदा बचाने आयी । भक्त की आस पुजाने आयी ।।

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