लखनऊ आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में शुगर और बीपी की समस्या होना आम बात है। इन सभी बीमारियों के चलते हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। पहले जहां हार्ट अटैक का रिस्क 60 साल के बाद रहता था, वहीं अब 30 साल की उम्र में ही हार्ट अटैक के केस सामने आने लगे हैं। दिल का दौरा पड़ने पर फर्स्ट एड की जरूरत पड़ती है। दिल के दौरे के लक्षण देखते ही अलर्ट हो जाएं और इलाज करें। 15 मिनट में अगर व्यक्ति को सही इलाज मिल जाता है तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। लक्षणों को पहचानें दिल का दौरा पड़ने वाले व्यक्ति के लक्षणों को पहचानें। सीने में जकड़न और बेचैनी, सांसों का तेजी से चलना, चक्कर के साथ पसीना आना, नब्ज कमजोर पड़ना और मितली आना दिल के दौरे के प्रमुख लक्षण हैं
1. नाक दबाएं मरीज की नाक को उंगलियों से दबाकर रखिए और अपने मुंह से कृत्रिम सांस दें। नथुने दबाने से मुंह से दी जा रही सांस सीधे फेफड़ों तक जा सकेगी।
2.लंबी सांस लेकर अपना मुंह चिपकाएं, हवा मुंह से किसी तरह से बाहर न निकल रही हो। कृत्रिम श्वास दीजिए मरीज को फौरन कृत्रिम श्वास देने की व्यवस्था कीजिए।
3.मरीज का तकिया हटा दें और उसकी ठोड़ी पकड़कर ऊपर उठा दें। इससे सांस की नली का अवरोध कम हो जाता है और कृत्रिम सांस में कोई अवरोध नहीं होता है।
4.सीपीआर कैसे दें इससे दिल की बंद हुई धड़कनें शुरू हो जाती हैं। इसे करने के लिए मरीज को कमर के बल लिटाएं, अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीच रखें। हाथ को नीचे दबाएं ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए। प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें। सीने को दबाएं दिल के दौरे में धड़कनें बंद हो सकती हैं।
5.दौरा अगर अचानक हो तो सीने को दबाकर सांस चालू करने की कोशिश करें। इमर्जेंसी फोन करें मरीज को लिटाने और एस्प्रीन की टैबलेट देने के बाद तुरंत इमरजेंसी नंबर पर फोन करें और एंबुलेंस को तुरंत बुलाएं। मरीज को लिटाएं दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को सबसे पहले आरामदायक स्थिति में लिटाएं और उसे ऐस्प्रिन की टैबलेट चूसने को दें। ऐस्प्रिन चूसने से दिल के दौरे में मृत्यु दर 15 प्रतिशत तक कम हो जाती है। दवा खून के थक्के बनने को रोकती है।
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