Sunday, 29 November 2015

बाजीराव मस्तानी

'बाजीराव मस्तानी' कहानी मराठा इतिहास की जबरदस्त प्रेम कहानी है। बाजीराव ने 20 साल की उम्र में मराठा शासक के पेशवा के रूप में सत्ता संभाली और अगले 20 साल में 41 युद्ध लड़े। उनकी खास बात यह थी कि कोई भी युद्ध उन्होंने नहीं हारा। उनकी विजय के 'विक्ट्री सांग' को रणवीर सिंह ने अपनी फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' में भव्य 'रायल परेड' में लांच कराया। इस ऐतिहासिक कहानी पर आधारित है

बाजीराव मस्तानी फिल्म... ये भारत के मराठा इतिहास की सबसे दिलचस्प प्रेम कहानी है। हालांकि, एक-दूसरे से मिलने से लेकर मौत तक, इतिहास में दोनों के बारे में कई तरह की बातें हैं। लेकिन सभी कहानियों में एक बात समान है। वह है इन दोनों के बीच की बेपनाह मोहब्बत। जी हां, यह कहानी बाजीराव-मस्तानी की ही है। इस प्रेम कथा पर संजय लीला भंसाली फिल्म बन रही है। इसमें रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा का अभिनय है।

बाजीराव की चिता पर सती हो गई थी मस्तानी, यूं खत्म हुई थी प्रेम कहानी मराठा पेशवा बाजीराव की दूसरी पत्नी का नाम मस्तानी था। वे बुंदेलखंड की थीं और उनका धर्म मुस्लिम था। वे इतनी खूबसूरत थी कि उन्हें सौन्दर्य साम्राज्ञी भी कहा जाता था। उन्हें बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल की बेटी माना जाता है। महाराजा की पारसी-मुस्लिम पत्नी रुहानी बाई मस्तानी उनकी मां थी। 28 अप्रैल 1740 को मराठा पेशवा बाजीराव का रावेर में बीमारी के कारण निधन हुआ था। उस दौरान उनसे प्रेम करने वाली मस्तानी भी पेशवा की चिता पर सती हो गई थी। हालांकि, मस्तानी के जीवन और मृत्यु को लेकर बहुत से तर्क दिए जाते हैं। छत्रसाल की मदद के लिए बुंदेलखंड आए थे पेशवा, यहीं मिली थी मस्तानी दिसंबर 1728 में मुग़ल सूबेदार मोहम्मद खान बंगश बुंदेलखंड पर हमला करने की फिराक में था। महाराजा छत्रसाल को यह पता था कि वे इस हमले का सामना नहीं कर सकते। इस वजह से छत्रसाल बहुत चिंतित थे और उन्होंने बाजीराव को एक भावुक पत्र लिखा। पत्र मिलते ही बाजीराव अपने मराठा दस्ते के साथ बुंदेलखंड पहुंच गए। छत्रसाल की सेना के साथ मिलकर बाजीराव की फ़ौज ने मोहम्मद शाह को मुंहतोड़ जवाब दिया। लड़ाई में बंगश की हार हुई। उस वक्त बंगश के बेटे कायम खान ने एक बड़ी फौज के सहारे पिता की मदद करनी चाही, लेकिन मराठा-बुंदेली सेना के जोरदार हमलों के आगे उसे भी हार का सामना करना पड़ा। इस लड़ाई में बंगश गिरफ्तार किया गया। उसे इस वादे पर छोड़ा गया कि वह फिर कभी बुंदेलखंड पर हमला नहीं करेगा। मौके पर मिले इस मदद से छत्रसाल, बाजीराव के आभारी हो गए थे। उन्होंने बाजीराव को अपना तीसरा बेटा स्वीकार किया। इतना ही नहीं छत्रसाल ने अपने राज्य के तीन टुकड़े कर एक हिस्सा बाजीराव को सौंप दिया। इसमें झांसी, कालपी, सिरोंज, सागर और हिरदेनगर शामिल था। राज्य देने के अलावा महाराजा ने अपनी बेटी मस्तानी का हाथ भी बाजीराव को दे दिया। कुछ लोगों का मानना है कि मस्तानी कोई और नहीं बल्कि छत्रसाल के दरबार की एक 'राजनर्तकी' थी।

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