Monday, 21 December 2015
अप्रैल 2016 से कर्जा होगा सस्ता
क्या है नया सिस्टम
बेस रेट तय करने के नए फॉर्मूले का नाम मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) है। यह फॉर्मूला फंड की मार्जिनल कॉस्ट पर आधारित है। जो कि अप्रैल 2016 से लागू होगा। इसके तहत कस्टमर्स को कम रेट का फायदा मिलेगा, वहीं बैंकों द्वारा पहले से इंटरेस्ट रेट तय करने की मेथडोलॉजी में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। आरबीआई ने कहा, ‘इन गाइडलाइन्स से उस इंटरेस्ट रेट पर कर्ज की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जो बैंकों के साथ ही कर्ज लेनदारों के लिए भी उपयुक्त हो।’ आरबीआई ने कहा कि मार्जिनल कॉस्ट प्राइसिंग से बैंकों को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनने में मदद मिलेगी और वे इकोनॉमिक ग्रोथ में योगदान कर सकेंगे।
आरबीआई ने क्यों किया बदलाव
रिजर्व बैंक को बैंकों से इस बात की लगातार शिकायत रही है कि वह जितनी मात्रा में रेट में कटौती करता है। उसी अनुपात में बैंक कस्टमर्स को फायदा नहीं पहुंचाते हैं। इस बात की सार्वजनिक शिकायत खुद आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन कई बार कह चुके हैं। इसके पहले एक दिसंबर को पेश मौद्रिक नीति की समीक्षा में उन्होंने कहा था कि जनवरी से अभी तक आरबीआई ने ब्याज दरों में 1.25 फीसदी की कटौती की । जबकि बैंकों ने अभी तक उसकी तुलना में केवल 0.60 फीसदी की । इसे देखते हुए आऱबीआई नया फॉर्मूला ला रहा है।
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