Sunday, 27 December 2015

चन्दा ओ चन्दा ( लाखो में एक )

चंदा ओ चंदा, चंदा ओ चंदा किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया जागे सारी रैना तेरे मेरे नैना हस के मैं तेरा मन बहलाऊँ अपने ये आँसू मगर किसे मैं दिखाऊँ मैंने तो गुज़ारा जीवन सारा, बेसहारा तेरी और मेरी एक कहानी हम दोनों की कदर किसी ने ना जानी साथी ये अंधेरा जैसे तेरा, वैसे मेरा सपनों में खोयी दुनिया है सोयी तेरी और मेरी खबर पूछे न कोई आजा करे बातें मुलाकातें बीते रातें

No comments:

Post a Comment