Sunday, 27 December 2015

तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हु मैं

तुझ से नाराज़ नहीं जिंदगी, हैरान हूँ मैं तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं जीने के लिए सोचा ही नहीं, दर्द संभालने होंगे मुस्कुराए तो, मुस्कुराने के कर्ज़ उतारने होंगे मुस्कुराऊ कभी तो लगता है, जैसे होठों पे, कर्ज़ रखा है जिंदगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नये समज़ाए मिले जो हमें , धूप में मिले छाँव के ठन्डे साए आज अगर भर आई हैं, बूंदे बरस जाएगी कल क्या पता इन के लिए, आँखे तरस जाएगी जाने कब गुम हुआ, कहा खोया, एक आँसू, छुपा के रखा था

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