Sunday, 27 December 2015

ये दिल तुम बिन लगता नहीं हम क्या करे

ये दिल तुम बिन कही लगता नहीं, हम क्या करे तसव्वूर में कोई बसता नही, हम क्या करे तुम ही कह दो अब ऐ जान-ए-वफ़ा हम क्या करे लूटे दिल में दिया जलता नही, हम क्या करे तुम ही कह दो अब ऐ जान-ए-अदा हम क्या करे किसी के दिल में बस के दिल को तड़पाना नहीं अच्छा निगाहों को झलक दे दे के छुप जाना नहीं अच्छा उम्मीदों के खिले गुलशन को झुलसाना नहीं अच्छा हमें तुम बिन कोई जचता नही, हम क्या करे मोहब्बत कर तो लेकिन मोहब्बत रास आये भी दिलों को बोझ लगते हैं कभी जुल्फों के साये भी हज़ारो गम हैं इस दुनियाँ में अपने भी पराये भी मोहब्बत ही का गम तनहा नही, हम क्या करे बुझा दो आग दिल की या इसे खुलकर हवा दे दो जो इस का मोल दे पाये, उसे अपनी वफ़ा दे दो तुम्हारे दिल में क्या हैं बस हमें इतना पता दे दो के अब तनहा सफ़र कटता नही, हम क्या करे

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