Tuesday, 28 March 2017
चैत्र नवरात्र पूजा विधी
28 मार्च : पहला दिन : कलश स्थापना व देवी शैलपुत्री की पूजा
29 मार्च : दूसरा दिन : द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
30 मार्च : तीसरा दिन : देवी मां चंद्रघंटा का पूजन व गणगौरी पूजन
31 मार्च : चौथा दिन : देवी के चौथे स्वरूप देवी कूष्मांडा का पूजन व श्री सिद्धि विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ समय
01 अप्रैल : पांचवा दिन : शिवपुत्र कार्तिकेय की मां स्कंदमाता की पूजा
02 अप्रैल: छठा दिन : देवी कात्यायनी की पूजा
03 अप्रैल: सातवां दिन : कालरात्रि मां की पूजा व तंत्रमंत्र की साधना करने वालों के लिए खास दिन
04 अप्रैल: आठवां दिन : आठवीं देवी महागौरी की पूजा व श्री दुर्गा अष्टमी व्रत
05 अप्रैल: नौवा दिन : देवी भगवती के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री का पूजन
नवरात्र कलश स्थापना की विधि:
नवरात्र में देवी पूजा के लिए जो कलश स्थापित किया जाता है वह सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही होना चाहिए। लोहे या स्टील के कलश का प्रयोग पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
भविष्य पुराण के अनुसार कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए। एक लकड़ी का फट्टा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखने चाहिए। चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए। एक मिट्टी के पात्र (छोटा समतल गमला) में जौ बोना चाहिए। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए। कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बनाना चाहिए।
कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए। कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए। ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए। एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए। अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाना चाहिए।
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