Tuesday, 28 March 2017

प्रार्थना

भाने तेरे से प्रभु, भला भद्र हो जाय। जग में सब नर-नगरी का, कष्ट न कोई पाय।। मार्ग सत्य दिखाइए, सन्त सुजन का पाथ। पाप से हमें बचाइए, पकड़ हमारा हाथ।। सन्त की सेवा दान कर, जो हो और अनाथ। दुर्बल दुखिया दीन की, दे सेवा मम नाथ।। हाथ जोड़ मांगू हरे, सेवा कृपा प्यार। विनय नम्रता देन दे, देना सब कुछ वार।। दीन दास हूँ द्वार का, सेवा देकर दान। सेवा सदन बनाइए, मुझको हे भगवान।। श्री भक्ति प्रकाश से सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः (7) प्राप्ति स्थान श्रीरामशरणम्

No comments:

Post a Comment