Saturday, 15 August 2015

सृष्टी रचानेवाले ...मालिक है तूं हमारा

सृष्टी रचानेवाले ,दुःख से बचानेवाले
दीनोँको दे सहारा ,मालिक है तूं हमारा  ll

तेरी ज्योति से चमके नभमे सुरज चाँद सितारे
अग्नी गगन जल धरन पवन में देखे बड़े नजारे
सब कुछ बनानेवाले,दुःख से बचानेवाले
दीनोँको दे सहारा ,मालिक है तूं हमारा  ll

धरती का मुख भरा फुलोंसे और सागर में मोती
नील गगनसे पानी बरसे ये हैरानी होती
अमृत पिलानेवाले ,दुःख से बचानेवाले
दीनोंको दे सहारा ,मालिक है तूं हमारा  ll

चारों ओर जो फूल रहीं है ये तेरी फुलवारी
रंग बिरंगे फुल है इसमें खुशबू न्यारी न्यारी
कलियाँ खिलानेवाले ,दुःख से बचानेवाले
दीनोँको दे सहारा ,मालिक है तूं हमारा  ll

जलचर थलचर नभचर सारे इस सृष्टी के प्राणी
पहुँच रहा बे-मोल सभीको निशीदिन दाना पानी
जीवन बचानेवाले ,दुःख से बचानेवाले
दीनोंको दे सहारा ,मालिक है तूं हमारा  ll

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